लक्ष्मी कांत हर्ष ( ज्योतिष विशेषज्ञ )
इस साल नवरात्रि का विशेष संयोग देखने को मिल रहा है, जहां अष्टमी और नवमी दोनों एक ही दिन मनाई जा रही हैं। यह संयोग एक ही तिथि का दो दिन पड़ने के कारण बन रहा है। पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर को दोपहर 12:31 बजे से प्रारंभ होकर 11 अक्टूबर को दोपहर 12:06 बजे तक रहेगी। ठीक इसी प्रकार, नवमी तिथि भी 11 अक्टूबर को दोपहर 12:05 बजे से शुरू होकर 12 अक्टूबर को सुबह 10:58 बजे तक चलेगी। इस संयोग के कारण इस वर्ष अष्टमी और नवमी का पर्व एक ही दिन में मनाया जा रहा है।
अष्टमी-नवमी पूजा का महत्व
नवरात्रि के आठवें और नौवें दिन का विशेष महत्व है। अष्टमी तिथि को देवी महागौरी की पूजा की जाती है, जबकि नवमी तिथि को माता सिद्धिदात्री की उपासना होती है। इन दोनों तिथियों को समर्पित कन्या पूजन का भी विशेष स्थान है। इस दिन कन्याओं को माता का रूप मानकर उनकी पूजा की जाती है और उन्हें भोजन कराया जाता है।
कन्या पूजन का मुहूर्त 2024
1. प्रातःकाल ब्रम्ह मुहूर्त: 04:39 से 05:30 बजे तक
2. अभिजीत मुहूर्त: 11:44 बजे से 12:31 बजे तक
3. विजय मुहूर्त: 02:00 बजे से 02:47 बजे तक
4. गोधूली मुहूर्त: 05:54 बजे से 07:08 बजे तक
कन्या पूजन के दौरान देवी को प्रसन्न करने के लिए नौ कन्याओं को बुलाकर उन्हें भोजन कराया जाता है। कन्या पूजन के बाद माता की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
नवरात्रि हवन मुहूर्त 2024
नवरात्रि का हवन भी एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जिसे अष्टमी-नवमी के दिन किया जाता है। इस साल हवन का शुभ मुहूर्त 11 अक्टूबर को दोपहर 12:05 बजे से लेकर 12 अक्टूबर को सुबह 10:58 बजे तक रहेगा। हवन पूजन के दौरान देवी के मंत्रों का उच्चारण करते हुए आहुति दी जाती है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और घर में सकारात्मकता का संचार होता है।
पूजा विधि
अष्टमी-नवमी पूजा विधि सरल है और पूरी श्रद्धा के साथ की जाती है। सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद माता के समक्ष दीप प्रज्वलित करें और प्रसाद के रूप में हलवा, पूरी, चना आदि तैयार करें। माता को प्रसाद अर्पित करें और मंत्रों के साथ पूजा करें। पूजा के बाद हवन करें और अंत में कन्या पूजन करके अपना व्रत खोलें।
मां सिद्धिदात्री के मंत्र
मां सिद्धिदात्री की पूजा के दौरान निम्न मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है:
ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
दुर्गा अष्टमी मंत्र
अष्टमी के दिन देवी महागौरी की उपासना करते समय इस मंत्र का उच्चारण करें:
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥
या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
कन्या पूजन सामग्री
कन्या पूजन के लिए निम्न सामग्री की आवश्यकता होती है:
गंगाजल
कलावा
पुष्प
चुनरी
पैर साफ करने के लिए कपड़ा
रोली
अक्षत
फल