रियांश्यामदास क्षेत्र के बासनी सेजा में रहने वाले 16 वर्षीय किशोर निर्मल ढोली की हालत ने सभी को विचलित कर दिया है। निर्मल पिछले 8 सालों से अपने ही घर में कैद हैं। वह बोल नहीं सकते और न ही सुन सकते हैं, जिसके चलते उनकी मानसिक स्थिति भी कमजोर बताई जा रही है।
निर्मल की मां समूडी पैरों से निशक्त हैं और उनकी देखभाल करने के लिए घर से बाहर नहीं निकलने देतीं। घर का खर्चा समूडी की पेंशन से चल रहा है, लेकिन उनके पास बेटे के इलाज के लिए पैसे नहीं हैं। मजबूरीवश, निर्मल को घर से बाहर नहीं निकलने देने के लिए जंजीर से बांधना पड़ता है।
निर्मल के पिता, रामचंद्र ढोली, के पास कोई जमीन नहीं है और परिवार सिर्फ एक टूटा-फूटा मकान में रहने को मजबूर है। स्थानीय लोगों ने बताया कि परिवार ने अपने सभी संसाधनों को निर्मल के इलाज के लिए दांव पर लगा दिया है, लेकिन सरकारी सहायता के अभाव में वे निराश हैं।
समूडी ने बताया कि हाल ही में मेड़ता विधानसभा क्षेत्र के युवा कांग्रेस के अध्यक्ष सुरेंद्र बापेड़िया ने उनके घर का दौरा किया। उन्होंने निर्मल के स्वास्थ्य की जानकारी ली और मदद के लिए आवश्यक कागजात प्रदान किए। बापेड़िया ने बताया कि उन्होंने निर्मल के लिए विकलांग प्रमाण पत्र का आवेदन कर दिया है और जल्द ही उनका बैंक खाता खोलकर पेंशन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
बापेड़िया ने यह भी कहा कि वे सरकार और क्षेत्र के भामाशाहों से मदद जुटाने का प्रयास करेंगे। इसके अलावा, वे सामाजिक न्याय एवं कल्याण विभाग के मंत्री अविनाश गहलोत से भी इस पीड़ित परिवार की सहायता के लिए गुहार लगाएंगे।
उपखंड अधिकारी पूनम चौधरी ने भी मामले की गंभीरता को स्वीकार किया और कहा कि वह स्थानीय कर्मचारियों से पूरी जानकारी लेकर निर्मल को सरकारी सहायता दिलाने के प्रयास करेंगी।
निर्मल के परिवार की स्थिति ने सभी को जागरूक किया है कि ऐसे बच्चों और परिवारों की मदद के लिए समाज को आगे आना होगा। उम्मीद है कि सरकारी सहायता और सामाजिक समर्थन से निर्मल का जीवन बेहतर हो सकेगा।