दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने रविवार को एक अप्रत्याशित घोषणा की। पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए, केजरीवाल ने ऐलान किया कि वह दो दिनों के भीतर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे। उन्होंने कहा कि जब तक जनता यह निर्णय नहीं लेती कि वह ईमानदार हैं या नहीं, तब तक वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे।
उन्होंने कहा, “मैं हर घर और गली में जाऊंगा, और जब तक जनता अपना फैसला नहीं सुना देती कि केजरीवाल ईमानदार है, तब तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा।”
जेल में पढ़ी ‘भगत सिंह की जेल डायरी’
केजरीवाल ने अपने भाषण में बताया कि जेल में रहते हुए उन्होंने भगत सिंह की जेल डायरी पढ़ी, जिसमें भगत सिंह द्वारा जेल में लिखे गए लेख और उनके साथियों को लिखे गए पत्र शामिल हैं। उन्होंने कहा, “जब भगत सिंह जेल में थे, उन्होंने कई खत लिखे थे और अंग्रेजों ने वे सभी खत उनके साथियों तक पहुंचाए थे। लेकिन आज की सरकार ने मुझे ऐसी इजाजत भी नहीं दी।
“केजरीवाल ने यह भी कहा कि उन्होंने स्वतंत्रता दिवस पर आतिशी को झंडा फहराने की अनुमति देने के लिए उपराज्यपाल (LG) को एक पत्र लिखा था, जो उन्हें भेजने से रोक दिया गया। उन्हें धमकी दी गई थी कि अगर उन्होंने दोबारा पत्र लिखा, तो उन्हें अपने परिवार से मिलने नहीं दिया जाएगा।
केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप
अपने भाषण के दौरान, केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार आजादी के 95 साल बाद अंग्रेजों से भी अधिक तानाशाही और अत्याचारी है। उन्होंने कहा, “इन्होंने एक नया फॉर्मूला अपनाया है, जहां-जहां चुनाव हारे, वहां-वहां विपक्ष के मुख्यमंत्री पर फर्जी केस करके उन्हें जेल में डाल देते हैं और उनकी सरकार गिरा देते हैं।
“केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने अब तक इस्तीफा इसलिए नहीं दिया था क्योंकि वह लोकतंत्र को बचाना चाहते थे। उन्होंने सभी विपक्षी नेताओं से अपील की कि भाजपा द्वारा लगाए गए फर्जी मामलों के दबाव में आकर इस्तीफा न दें।यह इस्तीफे की घोषणा एक महत्वपूर्ण मोड़ है, और अब सभी की नजरें जनता के फैसले पर टिकी हैं।
क्या जनता अरविंद केजरीवाल की ईमानदारी पर मुहर लगाएगी, या यह दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा बदलाव लेकर आएगी? यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।