अमानतुल्लाह खान, जो कि दिल्ली वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष हैं, के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा की गई कार्रवाई को लेकर गहरा विवाद उत्पन्न हो गया है। खान पर आरोप है कि उन्होंने वक्फ बोर्ड में कर्मचारियों की अवैध नियुक्तियों के माध्यम से बड़ी मात्रा में नकद प्राप्त किया और इस पैसे का उपयोग अपनी संपत्तियां खरीदने में किया। इस आरोप के आधार पर ED ने उन्हें अप्रैल में गिरफ्तार किया था, लेकिन बाद में उन्हें दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट से जमानत मिल गई। कोर्ट ने उन्हें 15,000 रुपये के व्यक्तिगत बांड और समान राशि की एक जमानत पर जमानत दी।
इस पूरे मामले को लेकर खान और उनके समर्थक इस कार्रवाई को अन्यायपूर्ण और राजनीतिक पूर्वाग्रह से प्रेरित मान रहे हैं। खान ने ED की जांच में भाग लिया और अपनी सास की गंभीर स्वास्थ्य स्थिति के कारण अधिक समय की मांग की थी, जिन्होंने हाल ही में कैंसर की सर्जरी करवाई थी। इसके बावजूद, ED ने सुबह-सुबह उनके घर पर छापा मारा, जिसे खान और उनके समर्थकों ने अत्यधिक निर्दयता और अन्यायपूर्ण कार्रवाई के रूप में देखा है।
ED के मुताबिक, खान पर आरोप है कि उन्होंने वक्फ बोर्ड में अवैध नियुक्तियां कीं और इसके माध्यम से प्राप्त नकद को अपने सहयोगियों के नाम पर संपत्तियां खरीदने के लिए इस्तेमाल किया। ED ने खान को कई बार जांच में शामिल होने के लिए समन किया, लेकिन उन्होंने समय की मांग की और इसका कारण अपनी सास की सर्जरी को बताया। ED का कहना है कि खान ने इन समन के बावजूद जांच में पूरी तरह से सहयोग नहीं किया, जिसके चलते उनके घर पर छापा मारा गया।
विपक्षी नेताओं और खान के समर्थकों का कहना है कि इस कार्रवाई के पीछे राजनीतिक मंशा हो सकती है। उनका आरोप है कि मोदी सरकार और ED का यह कदम खान को परेशान करने और उनकी छवि को धूमिल करने के लिए उठाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि ED की यह कार्रवाई पूरी तरह से राजनीतिक दबाव और तानाशाही के तहत की जा रही है, जो कि लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ है।
अमानतुल्लाह खान ने न्यायालय से उम्मीद जताई है कि उन्हें इस मामले में न्याय मिलेगा और उनकी बेगुनाही साबित होगी। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा है कि वह इस प्रकार की अन्यायपूर्ण कार्रवाई का मुकाबला करेंगे और अंततः सच्चाई सामने आएगी।