उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षकों की भर्ती पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश की सरकार को बहुत बड़ा झटका दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए शिक्षक भर्ती की मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया गया है। हाई कोर्ट ने यह भी आदेश दिए कि 3 महीने के अंदर नई मेरिट लिस्ट जारी की जाए। यह जो मेरिट लिस्ट रखी गई है यह मेरिट लिस्ट 2019 में परीक्षा हुई जिसकी 1 जून 2020 मेरिट लिस्ट जारी हुई थी इसी मेरिट लिस्ट को इलाहाबाद हाई कोर्ट की डबल बेंच ने मेरिट लिस्ट रद्द करने का आदेश सुनाया। हाई कोर्ट के इस फैसले पर हजारों शिक्षकों की नौकरी पर खतरा मंडरा गया है। हाई कोर्ट ने यह आदेश भी दिया है कि सामान्य श्रेणी के लिए निर्धारित मेरिट में आने पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी को सामान्य श्रेणी में ही माइग्रेट किया जाएगा। यह फैसला न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की दो सदस्यीय पीठ ने महेंद्र पाल व अन्य द्वारा एकल पीठ के आदेश के खिलाफ दाखिल 90 विशेष अपीलों को एक साथ निस्तारित करते हुए पारित किया है।
नई चयन सूची बनने के बाद 4000 शिक्षकों की नौकरी जा सकती है। 2018 में जब वैलिड टेस्ट है उसके बाद बहुत बड़ा विवाद हुआ था। अभ्यर्थियों ने पूरी भर्ती प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए थे। इसमें 19 हजार पदों को लेकर आरक्षण में गड़बड़ी के आरोप लगाए गए थे। यूपी सरकार ने दिसंबर 2018 में 69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती की थी और जनवरी 2019 में परीक्षा कराई गई थी। इस भर्ती में 4.10 लाख अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया था। करीब 1.40 लाख अभ्यर्थी सफल हुए और मेरिट लिस्ट जारी कर दी गई। मेरिट लिस्ट आते ही विवाद सामने आ गया, क्योंकि आरक्षण के चलते जिन अभ्यर्थियों का चयन तय माना जा रहा था, उनके नाम लिस्ट में नहीं थे। इसके बाद कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया।
कोर्ट ने कहा कि चयन सूची में 1981 के नियम के तहत आरक्षण अधिनियम 1994 के मुताबिक आरक्षण नीति का पालन किया जाए। अगर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी की मेरिट सामान्य श्रेणी के बराबर आए तो वह सामान्य श्रेणी में आ जाएगा। इन निर्देशों के तहत ऊपरी क्रम में आरक्षण दिया जाएगा। इसके साथ कोर्ट ने ये भी कहा कि नई सूची बनने पर अगर समय यदि वर्तमान में कार्यरत किसी सहायक शिक्षक पर विपरीत असर पड़ता है तो मौजूदा सत्र का लाभ दिया जाये ताकि छात्रों की पढ़ाई पर खराब असर न पड़े।