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शिवानी पवार से हार, फिर नाटक,फोगाट पर 1 करोड़ का खर्च, फिर भी खेल से हटकर राजनीति की राह।

गिरिराज शर्मा (विश्लेषक )

विनेश फोगाट, भारत की शीर्ष पहलवानों में से एक, हाल ही में कई विवादों और आलोचनाओं के केंद्र में रही हैं। उनका नाम खेल से अधिक राजनीति और विवादों में घिरता दिख रहा है। शुरुआत ओवरवेट के कारण प्रतियोगिता से बाहर हो जाने से हुई, जो एक पेशेवर एथलीट के लिए एक गंभीर चूक है। 53 किलोग्राम वर्ग में हिस्सा लेने के दौरान उनका वजन 100 ग्राम अधिक हो गया था, जिसके कारण वह प्रतियोगिता से बाहर हो गईं। इसके बाद उन्होंने एक नया विवाद खड़ा किया जब उन्होंने सहानुभूति पाने के लिए विक्टिम कार्ड खेला, यह दावा करते हुए कि उनके साथ गलत हुआ है।

विनेश ने पेरिस में बैठकर अपने रिटायरमेंट की घोषणा की, जिससे खेल जगत में खलबली मच गई। उनकी इस घोषणा को बहुत से लोग सहानुभूति प्राप्त करने का एक प्रयास मान रहे हैं, विशेष रूप से जब उन्होंने हार के बाद किसी प्रकार की आत्म-स्वीकृति या सुधार की बात नहीं की। यह कदम कई आलोचकों के अनुसार राजनीतिक दृष्टिकोण से प्रेरित था। इसके बाद जब वह भारत लौटीं, तो कांग्रेस नेताओं ने उनका भव्य स्वागत किया। यह घटनाक्रम विनेश के राजनीतिक समीकरणों को स्पष्ट करने वाला था, क्योंकि राजनीतिक जगत में उनके प्रवेश की संभावनाओं को लेकर पहले से ही अटकलें लगाई जा रही थीं।

उनके खेल करियर में एक और विवादास्पद घटना तब सामने आई जब उन्होंने 53 किलोग्राम वर्ग में हारने के बाद, जबरदस्ती 50 किलोग्राम वर्ग में खेलने की मांग की। यहां भी उनका प्रदर्शन शिवानी पवार के खिलाफ 5-0 से पिछड़ने के बाद सवालों के घेरे में आया। आलोचकों का कहना है कि उन्होंने खेल भावना का सम्मान नहीं किया और अपने प्रभाव का गलत इस्तेमाल किया। इस तरह के विवादों ने उनकी खेल भावना और समर्पण पर गहरा सवाल खड़ा किया है।

सरकार की ओर से उन्हें मिले आर्थिक और प्रशिक्षकीय सहयोग पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। विनेश फोगाट को उनके निजी प्रशिक्षक के लिए 1 करोड़ रुपये से अधिक की सहायता दी गई, जिसे भाजपा सरकार ने प्रदान किया। इसके बावजूद, विनेश ने सरकार के प्रति कृतज्ञता की बजाय शिकायतें कीं। इसको लेकर भाजपा समर्थकों ने नाराजगी जताई है, यह सवाल उठाते हुए कि सरकार ने इतना खर्च किया, फिर भी विनेश क्यों असंतुष्ट हैं?

विनेश का इस तरह राजनीति से जुड़ना और सरकार के खिलाफ बयान देना उनकी खेल भावना और देशभक्ति पर सवाल उठाता है। कई खेल प्रेमियों का मानना है कि विनेश ने अब खेल से अधिक राजनीति पर ध्यान देना शुरू कर दिया है, और यह स्पष्ट हो गया है कि वह आने वाले समय में कांग्रेस से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं। उनके रिटायरमेंट और फिर राजनीति में प्रवेश के कयास लंबे समय से लगाए जा रहे थे, और अब यह स्पष्ट रूप से सामने आ रहा है कि उनका राजनीतिक करियर खेल से अधिक महत्वपूर्ण हो चुका है।

उनकी चयन प्रक्रिया को लेकर भी काफ़ी सवाल खड़े हुए हैं। उन्हें नियमों का उल्लंघन कर विशेष सुविधाएं दी गईं, जो अन्य खिलाड़ियों को नहीं मिलीं। कई खेल प्रशंसकों और आलोचकों का मानना है कि उनकी चयन प्रक्रिया की जांच होनी चाहिए, और यह देखा जाना चाहिए कि कैसे उन्हें नियम विरुद्ध विशेषाधिकार मिले। इसके अलावा, यह भी बताया गया कि विनेश ने 4 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि प्राप्त की, जो बीजेपी सरकार ने उन्हें प्रदान की थी। फिर भी उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उन्हें पर्याप्त मदद नहीं मिली। यह विरोधाभासी बयान उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने वाला साबित हो रहा है।

अंततः, यह साफ हो गया है कि विनेश फोगाट अब खेल के बजाय राजनीति में अधिक रुचि रखती हैं। खेल के प्रति उनका समर्पण और भावना अब संदिग्ध हो गई है, और उनकी यह राजनीतिक यात्रा उनके खेल करियर को प्रभावित कर सकती है।

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