श्याम सुंदर व्यास (फ़िल्म समीक्षक) जॉन अब्राहम, शिरवरी, आशीष विद्यार्थी
15 अगस्त को सिनेमाघर में तीन फिल्में रिलीज हुई। अक्षय कुमार की खेल-खेल में राजकुमार राव श्रद्धा कपूर की स्त्री 2 और जॉन इब्राहिम की फिल्म हुई वेदा। खेल-खेल में और स्त्री 2 का रिपोर्ट कार्ड अच्छी आई है। स्त्री 2अपार सफलता प्राप्त करेगी। अब जानते हैं जॉन इब्राहिम की विदा फिल्म के बारे में। जॉन इब्राहिम की फिल्म विदा सच्ची घटना पर आधारित है जो राजस्थान के बाड़मेर जिले की बताई जा रही है। यह फिल्म आज भी बताती है कि गांव के अंदर जात-पात का कितना बड़ा मामला है। इस फिल्म की कहानी नई है। फिल्म वेदा में जॉन इब्राहिम की अपोजिट शरवरी वाघ और साथ मे तमन्ना भाटिया, आशीष विद्यार्थी और अभिषेक बनर्जी है। फिल्म के डायरेक्टर निखिल आडवाणी है।
भूतों फिल्म बहुत अच्छी बनी है पर फिर भी कहीं फिल्में कमियां नजर आती है। फिल्म का सब्जेक्ट भी नया है। फिल्म का ट्रेलर आने के बाद जॉन इब्राहिम को एक पत्रकार ने पूछा कि आप हमेशा एक्शन फिल्म क्यों करते हो तो जॉन इब्राहिम ने उसका जवाब दिया कि अपने फिल्म देखना फिर बात करेंगे। अभी फिल्म देखते के बाद पत्रकार के मन में जो भी शंका थी वह खत्म हो जाएगी। क्योंकि जॉन अब्राहम ने इस फिल्म में बहुत शानदार काम किया है। इस फिल्म की कहानी के बारे में बात करते हैं।
वेदा की कहानी —- फिल्म में जॉन इब्राहिम एक आर्मी अफसर बने हैं। किसी कारण से कोर्ट मार्शल के चलते उन्हें सेना से निकाल दिया जाता है। इस दौरान आतंकवादी जॉन इब्राहिम की पत्नी बनी तमन्ना भाटिया को मार देते हैं। जॉन अपने घर में गांव मे आकर रहने लगता है उसी गाँव मे एक लड़की वेदा होती है। जिसको बॉक्सर बना है लेकिन उसकी जाति निम्न होने के कारण उसके साथ बहुत अत्याचार होता है।फिर भी वह अपने सपने को नहीं छोड़ती। इसी अत्याचार को बचाने के लिए जॉन इब्राहिम वेदा के साथ देने लगते हैं।
फिल्म की कहानी बहुत दमदार है। जॉन इब्राहिम अपने बिल्कुल नए अंदाज में नजर आए। आज के भारत में जो गांव के अंदर जात पात ऊंच नीच ओनर किलिंग जैसे सब्जेक्ट को शानदार ढंग से उठाया गया है। फिल्म मैं अभिषेक बनर्जी ने विलन का किरदार बहुत शानदार निभाया है। आशीष विद्यार्थी बहुत समय बाद फिल्मों में नजर आए वही तमन्ना बातें भाटिया छोटे से रोल में दिखी। फिल्म की असली जान है शरवरी है। पूरी फिल्म शरवरी के बीच में घूमती है। शरवरी ने फ़िल्म मे अपनी एक्टिंग से जान डाल दी और अपनी छाप छोड़ दी है।
फिल्म की म्यूजिक की बात करो सिर्फ दो गाने हैं एक आइटम सॉन्ग है और एक गाना और है। इसलिए म्यूजिक में ज्यादा दम नहीं है लेकिन फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक बहुत शानदार है। सिनेमा घर में बैकग्राउंड म्यूजिक अपनी छाप छोड़ता है।
फ़िल्म समीक्षको ने इस फिल्म की रेटिंग की बात करें तो 5 में से 3 नंबर दिए हैं। इसका मतलब यह है की फिल्म देखने लायक है। मतलब 15 अगस्त को दस्तों के पास तीन फिल्में देखने का अवसर है। तीनों फिल्में बहुत शानदार है।