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राहुल गाँधी कश्मीरी जनता के लिए कौनसा डेमोक्रेटीराइट्स मांग रहे हे। राहुल गाँधी भारत को मजबूत क्यों नहीं करना चाहते?

जितेन्द्र हर्ष ( राजनितिक विश्लेषक)

अभी राहुल गाँधी की तैयारी बिलकुल अलग है। कांग्रेस की 99 सीट आने के बाढ़ राहुल गाँधी ने एक नई रणनीति बनाई है। कभी वो लोको पायलट से मिलते है कभी ऑटो रिक्शा वालो से कभी कैब वालो से। फिलहाल राहुल गाँधी अभी जम्मू कश्मीर मे है और बोला जाए तो पिकनिक के साथ विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे है। राहुल गाँधी हर कश्मीर मे आइसक्रीम खा रहे है। कभी कश्मीर की वादियों का मजा लेना। हर जगह अपने कैमरे मैन कोलेकर जाते है और अपने शानदार स्टाइल मे फोटोशूट करके सोशल मीडिया पर लगाते है। जिससे की जनता मे एक सन्देश जाए की राहुल गाँधी देश की आवाज है है जबकि हक़ीक़त ये हे की राहुल गाँधी को प्रधानमंत्री बनना हे इसलिए वो जनता के साथ जाकर जाकर अपने वोटर बढ़ा रहे हे।

फिलहाल राहुल गांधी अभी कश्मीर में अपने फोटोशूट और पिकनिक बनाने में व्यस्त है। जगह-जगह पर अपने खुद के फोटोग्राफ लेकर जाते हैं ओ कश्मीर की जनता को यह बोलते हैं कि मैं यहां पर मोहब्बत की दुकान खोलने आया हूं। राहुल गांधी मोहब्बत की दुकान तो खोलने आए लेकिन जिस खुली जगह पर बैठकर राहुल गांधी कश्मीरी लोगों को अपने आपसे जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। जिस कश्मीर में राहुल गांधी खुल कर साँस ले रहे हैं। जिस लाल चौक में किसकी हिम्मत नहीं होती थी की रात को घूम ले उसे लाल चौक में राहुल गांधी आइसक्रीम खा रहे हैं खुले में घूम रहे हैं लोगों से मिल रहे हैं। इन सब की वजह अगर कोई है आज तो वह देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी है जिन्होंने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर भारत का महत्वपूर्ण हिस्सा बना लिया है।

आज राहुल गांधी ने मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ नेशनल कांफ्रेंस सके नेता फारूख अब्दुला से मुलाक़ात की हे। नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन की तैयारी में है। राहुल गांधी कश्मीर में अपनी पार्टी कांग्रेस को किसी भी तरह से खड़ा करना चाहते हैं।

राहुल गांधी कश्मीर तो गए और फारूक अब्दुल्ला से मिले भी है। चौकी राहुल गांधी चाहते थे की नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन में जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव लड़े। फारूक अब्दुल्ला ने उससे पहले ही कांग्रेस को स्पष्ट अपना मैसेज दे दिया है कि वह कांग्रेस को सिर्फ दो सीट देंगे। वहीं राहुल गांधी ने एक बार बोला है कि हम अपने कार्यकर्ताओं के सम्मान में किसी से कंप्रोमाइज नहीं करेंगे। पर जम्मू कश्मीर में अगर राहुल गांधी को कुछ कर दिखाना है तो अपने कार्यकर्ताओं की अनदेखी तो करनी पड़ेगी। वैसे तो राहुल गांधी जम्मू कश्मीर 2 दिन के दौरे पर गए थे लेकिन दो दिन में उन्होंने किया क्या यह आज तक किसी को बताया नहीं। राहुल गांधी एक तरफ तो कह रहे हैं कि हम किसी से कंप्रोमाइज नहीं करेंगे दूसरी और राहुल गांधी ही कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की प्रतिष्ठा धूमिल कर रहे हैं। फारूक अब्दुल्ला को पता है कि अगर कांग्रेस को ज्यादा सीट दे देते हैं तो जमानत जप्त हो जाएगी।

फारूक अब्दुल्ला और पीडीपी की बात जानती है अगर कांग्रेस को हमने 20% से 25% सीट दे देते हैं तो इस पर हमें तो कोई फायदा नहीं होगा और ना कांग्रेस को फायदा होगा लेकिन हमें इतना घाटा होगा जम्मू कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस का पी.डी.पी.की नींव हिल जाएगी। और अगर नेशनल कांफ्रेंस की बात सच है कि कांग्रेस को सिर्फ दो ही सीट देंगे तो फिर राहुल गांधी का दो दिवसीय से कश्मीर दौरा फिर चुनाव के लिए नहीं था यह किसी और काम के लिए किया होगा। उधर बीजेपी पीडीपी से कोई गठबंधन करने को तैयार नहीं है।इसका मतलब यह हुआ है कि जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव बहुत ही दिलचस्प होगा।

कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेताओं को कहना है की राहुल गांधी जम्मू कश्मीर की जमीनी हकीकत को जाने के लिए जम्मू कश्मीर गए हैं। अजीब बात इसलिए है कि जब भी कोई चुनाव के लिए मीटिंग होती है तो सभी राज्य के दल बड़े-बड़े देता दिल्ली आते हैं लेकिन यहां राहुल गाँधी का जम्मू कश्मीर जाना एक ही संकेत देता है कि या तो पपिकनिक मनाने गए या फिर वह कुछ और पता करने के लिए गए। वैसे राहुल गांधी की जो राजनीतिक सभी बनी हुई है वह अच्छी तो नहीं है। क्योंकि अभी बांग्लादेश पत्रकार ने बांग्लादेश में जो हिंसा हुई उसके पीछे राहुल गांधी का हाथ बताया। यह आप कोई भारतीय पत्रकार या बीजेपी के प्रवक्ता नहीं लग रहे हैं यह आप बांग्लादेश के प्रसिद्ध पत्रकार ने अपने एक वेबसाइट पर लिखा हुआ है।

दरअसल बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बहुत अच्छे संबंध है जो राहुल गांधी को हमेशातकलीफ देते हैं। जब राहुल गांधी को यह पता था कि बांग्लादेश के अंदर बहुत कुछ गलत चल रहा है उसे समय राहुल गांधी लंदन में खालीदा जिया के बेटे से मुलाकात करते हैं। खरीद जिया का बेटा ISI से बहुत नजदीकी संबंध है और खालीदा जिया और उसका बेटा भारत से बहुत नफरत करते हैं। तो यह मुलाकात राहुल गांधी की संदेह पैदा करती है।

वर्तमान में एक बहुत बड़ी घटना यह भी हुई है कि राहुल गांधी और उसकी पार्टी के नेताओं के लिए पाकिस्तान से आम की पेटिया रही है। जहां नरेंद्र मोदी पाकिस्तान से बातचीत करने के लिए बिल्कुल ही मना करते हैं राहुल गांधी के लिए पाकिस्तान से खाने के लिए आम के पेटीयां आ रही है। इसके अलावा राहुल गांधी के चीन के साथ संबंध भी बहुत गहरे हैं।

जब डोकलाम में भारत और चीन की झड़प हो रही थी। तब राहुल गांधी चीन के साथ गुप्त मीटिंग कर रहे थे। यह मीटिंग एकदम इतनी गुप्त मीटिंग थी यह तो भारत के सैनिक को चीन के सैनिकों को बीच में झड़प हो रही है उरला राहुल गांधी चीन के साथ बैठकर नाश्ता और डिनर कर रहे हैं। जब बात पत्र करो ने कांग्रेस के प्रवक्ता और नेताओं से पूछा कि राहुल गांधी चीन से मुलाकात करने गए तो तो कांग्रेस के हर एक नेता ने बिल्कुल स्पष्ट बना कर दिया कि राहुल गांधी चीन से कभी नहीं मिले। चीन के सबसे बड़े न्यूज़पेपर में ही राहुल गांधी की फोटो चीनी नेताओं के साथ न्यूज़ लगाई तब कांग्रेस के प्रवक्ता और नेता बोलते हैं कि राहुल गांधी तो ढोकला में भारत के बीच में जो झड़प है उसे सुलझाने के लिए गए।

अमेरिका में भी एक लॉबी है जो नरेंद्र मोदी और भारत के खिलाफ काम करती है। राहुल गांधी के उसे लोग के साथ भी बहुत गहरे अच्छे संबंध है। इसका मतलब यह होता है कि जो भी भारत का दुश्मन होगा राहुल गांधी से उसके अच्छे संबंध होगे। राहुल गांधी के अंदर देश प्रेम क्यों नहीं है। यह तो राहुल गांधी जाने लेकिन यह बात स्पष्ट है कि राहुल गांधी अगर प्रधानमंत्री बनते हैं तो भारतीय हित के लिए अच्छा नहीं होगा।

चलिए बात करते हैं राहुल गांधी के कश्मीर दौरे कि अब तो राहुल गांधी बोलते हैं कि कश्मीरी लोगों को डेमोक्रेटिक राइट्स मिलनी चाहिए। एक बात समझ में नहीं आती की कश्मीर लोगों को पहले से ज्यादा डेमोक्रेटिक राइट्स मिले हैं तो राहुल गांधी किस डेमोक्रेटिक राइट्स की बात कर रहे हैं। राहुल गांधी के अनुसार कश्मीरी लोगों का डेमोक्रेटिक राइट्स ये है कि कश्मीर में लाल चौक पर कभी तिरंगा ना फ़हराया जाए तो कश्मीर लोगों को किसी प्रकार का काम ना मिले और उसे पत्थर बाजी करते रहे। अनुच्छेद 370 वापस लग जाए। पाकिस्तान फिर कश्मीर के ऊपर हावी होने लगे। कश्मीर में आतंकवाद की घटना और बढ़ जाए। क्या राहुल गांधी यही वापस चाहते हैं।

अगर राहुल गांधी प्रधानमंत्री बन जाते हैं तो कश्मीर के हालात और बिगड़ जाएंगे। जहां आज सेना बहुत मजबूत स्थिति में है वहीं फिर से सेना कमजोर हो जाएगी।

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