जोधपुर में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के खिलाफ पोस्टर लगाने वाले शिक्षक नेता शंभू सिंह मेड़तिया को निलंबित कर दिया गया है। जिला शिक्षा विभाग ने इस मामले में आदेश जारी किया है, जिसमें शिक्षा मंत्री के खिलाफ अशोभनीय नारेबाजी, शहर के विभिन्न स्थानों पर होर्डिंग्स लगाने, और शिक्षा मंत्री के लिए “पलटूराम” जैसे शब्दों का प्रयोग करने का आरोप लगाया गया है। विभाग का मानना है कि इस प्रकार की हरकत से विभाग की छवि धूमिल हुई है, जिसके चलते उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया।
आदेश के मुताबिक, शंभू सिंह मेड़तिया, जो पहले राजकीय प्राथमिक विद्यालय बागा सूरसागर में कार्यरत थे, को निलंबन के बाद शेरगढ़, जोधपुर ग्रामीण मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी के मुख्यालय पर स्थानांतरित कर दिया गया है। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर वर्तमान में जोधपुर जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं, और इस घटना के बाद पूरे शहर में हलचल मच गई थी।
पोस्टर विवाद की शुरुआत तब हुई जब जोधपुर के विभिन्न हिस्सों में शिक्षा मंत्री के खिलाफ पोस्टर और होर्डिंग्स लगाए गए, जिनमें उन्हें “पलटूराम” कहा गया और उनके विभाग में बदलाव की मांग की गई। यह पोस्टर सार्वजनिक स्थानों पर देखे गए, जिनकी जानकारी मिलने के बाद शिक्षा विभाग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए होर्डिंग्स हटवा दिए।
इस घटना के बाद, स्कूल शिक्षा जोधपुर संभाग की जॉइंट डायरेक्टर सीमा शर्मा ने प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी पुरुषोत्तम राजपुरोहित को शिक्षक नेता मेड़तिया के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए। इसके तहत मेड़तिया को निलंबित करने का आदेश जारी किया गया। यह भी बताया गया है कि मेड़तिया सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं, और उन्होंने अपने निलंबन के बारे में पोस्ट लिखी, जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि उन्हें निलंबित कर दिया गया है।
यह पहली बार नहीं है जब शंभू सिंह मेड़तिया ने शिक्षा मंत्री के खिलाफ विरोध किया हो। इससे पहले भी उन्होंने शिक्षा मंत्री पर निजी स्कूलों का समर्थन करने का आरोप लगाते हुए सर्किट हाउस के बाहर प्रदर्शन किया था। उस समय भी शिक्षा विभाग ने उनके खिलाफ कार्रवाई की थी, और उन्हें राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह में चुने जाने के बावजूद अंतिम समय में उनके नाम को सूची से हटा दिया गया था। इसके अलावा, उनके खिलाफ पहले से ही 16 सीसीए की चार्जशीट भी जारी की गई थी।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद शिक्षा विभाग और शिक्षक संघों के बीच तनाव बढ़ता हुआ नजर आ रहा है। मेड़तिया के निलंबन के बाद उनके समर्थक और विरोधी दोनों इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं, और यह विवाद अब जोधपुर से लेकर जयपुर तक का प्रमुख विषय बन गया है।