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पूरे भारत पर मनाया जाएगा जन्माष्टमी का उत्सव। पूजा करने का शुभ समय जाने।

जन्माष्टमी इसका मतलब पूरा भारत के विश्व में रहते हैं की जन्माष्टमी का मतलब भगवान श्री कृष्ण का जन्म उत्सव है। हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्मदिन आता हे जिसे हम जन्माष्टमी कहते हैं। सुपरहिट जन्माष्टमी 26 अगस्त तो 27 अगस्त को मनाई जा रही है। इस बार जन्माष्टमी भाद्रपद में 26 अगस्त को सुबह 03.39 से लेकर 27 अगस्त को देर रात 02.19 तक रहेगी लेकिन श्रीकृष्ण की पूजा का शुभ मुहूर्त मध्यरात्रि 12.00 बजे से लेकर 12.44 बजे तक रहेगा। एक बात की ओर जानकारी की गृहस्थी लोग जो है वह 26 तारीख को जन्माष्टमी मनाएंगे। वहीं दूसरीवैष्णव संप्रदाय के लोग जन्माष्टमी मनाएंगे। विष्णु के अवतार भगवान श्री कृष्णा क्या इस बार जन्म उत्सव भगवान कृष्ण का 5251वां जन्मोत्सव है

भगवान श्री कृष्ण का जन्म कब और क्यों हुआ

कथा द्वापर युग की है जब एक राजा कंस था। जो बहुत ही शक्तिशाली बनना चाहता था और राजपद का लालची था परंतु वह अपनी बहन देवकी से बहुत प्यार करता था। कंस ने अपने पिता को राजगद्दी से हटकर खुद राजगद्दी पर बैठ गया और आपके पिता को जेल में डाल दिया। कंस अपनी बहन देवकी से बहुत प्यार करता देवकी अपनी माइक क्या हुई थी और वापस जब मायके से जा रही थी तो कंस उसको छोड़ने के लिए जा रहा था। रास्ते में जाते हुए कंस के बारे में आकाश पर आकाशवाणी हुई बोला कि ‘जिस बहन से तो अति प्रेम करता है उसकी संतान के आटे तुम्हारी मृत्यु है क्योंकि तुमने अपने आप को राजगिद्दी से उतार कर धरती पर पाप बढ़ा दिया है। देवकी की आठवीं संतान तेरी मौत का कारण बनेगी।”

आकाशवाणी सुनकर कंस अपने बहनोई वासुदेव को मारने के लिए तैयार हो गया। यह देखकर कंस की बहन देवकी ने कंस के सामने राई और वादा किया कि वह अपनी संतान को आपको सौंप देगी लेकिन मैं पति को मत मारो। कंस ने देवकी की बात मान ली और देवकी और वासुदेव को वापस अपने बहन और बहनोई को मथुरा लेकर आया उर्दू में कुछ जेल में डाल दिया।

देवकी अपने पति के प्राण बचाने के लिए हर संतान होते ही कंस को सौंप देती। इस तरह से कंस ने देवकी के 7संतानों को जान से मार दिया। यह देख कर भगवान विष्णु का मन प्रसिद्ध गया और देवकी की आठवीं संतान के रूप में अवतार लेने का फैसला किया। इधर कंस को पता था कि देवकी की आठवीं संतान होने वाली है इसलिए कंस ने देवकी के जेल के बाहर कड़ी सुरक्षा लगा दी। जिस कारागृह कक्षा में कृष्ण जन्म लेने वाले थे

देवकी-वसुदेव कैद थे, उसमें अचानक प्रकाश हुआ और उनके सामने शंख, चक्र, गदा, पद्म धारण किए चतुर्भुज भगवान प्रकट हुए। देवकी-वसुदेव भगवान के चरणों में गिर पड़े। तब भगवान ने वसुदेवजी से कहा, “मैं आप दोनों का पुत्र बनकर अवतरित होने जा रहा हूं। मेरे शिशु रूप में जन्म लेते ही। जन्म लेते ही, आप मुझे इसी समय अपने मित्र नंदजी के घर वृंदावन लेकर जाएंगे और उनके यहां एक कन्या का जन्म हुआ है, उसे लाकर कंस के हवाले कर देंगे। यहां की परिस्थित आपके अनुकूल नहीं है। लेकिन आप चिंता न करें। जागते हुए पहरेदार सो जाएंगे, कारागृह के फाटक अपने आप खुल जाएंगे और उफनती अथाह यमुना आपको पार जाने का मार्ग दे देगी।” पिता ने भी भगवान श्री विष्णु की बात मान ली।

वासुदेव भरी बरसात में टोकरी में बच्चों को डालकर अपने मित्र नंद के यहां सुलाकर वहा एक लड़की को उठाकर लेकर आ गये। कंस को पता लगा कि देव की उसकी की कोख की आठवीं में संतान अभी भी जिंदा है। कंस तो वह आकर देवकी पर संतान को मारना चाहता हे। ज़ब न्हुकंस बंदीगृह पहुंचता हे “नवजात कन्या को छीनकर पृथ्वी पर पटक देना चाहा, परंतु वह कन्या आकाश में उड़ गई और वहां से कहा- “ओ मूर्ख कंस! मुझे मारने से क्या होगा? तुझे मारनेवाला तो गोकुल पहुंच चुका है। वह जल्द ही तुझे तेरे पापों का दंड देगा।” बाद में भगवान श्री कृष्ण की राक्षशो को मारते और अपने कंस मामा को भी मार देते हे।

हर साल साल कृष्ण जन्माष्टमी के दिन चंद्रमा वृषभ राशि में ही विराजमान रहेंगे। कहते हैं कि जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग में हुआ था तब भी ऐसा ही योग बनाया।?।इसके अलावा कृष्ण जन्माष्टमी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण होने जा रहा है. इस दिन शश राजयोग और गुरु-चंद्र युति के कारण गजकेसरी योग का भी निर्माण होने वाला हैजब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग में हुआ था तब भी ऐसा ही योग बना था।

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