जया व्यास ( क्रिकेट विश्लेषक )
प्रारंभिक जीवन और इंजीनियरिंग के सपने
जवागल श्रीनाथ भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित नाम हैं। एक समय था जब वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे और अमेरिका में नौकरी करने का सपना देखते थे। उन्हें कभी उम्मीद नहीं थी कि वे क्रिकेट में आएंगे और इतनी शोहरत हासिल करेंगे। लेकिन श्रीनाथ की मेहनत और काबिलियत ने उन्हें इस मुकाम तक पहुँचाया।
2003 विश्व कप में वापसी और अंतिम विश्व कप
2002 में क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद, तत्कालीन कप्तान सौरव गांगुली ने उन्हें 2003 के विश्व कप में खेलने के लिए वापस बुलाया। श्रीनाथ ने गांगुली का आग्रह स्वीकार किया और भारतीय टीम में शामिल हो गए। उस अंतिम विश्व कप में श्रीनाथ ने भारत के लिए सबसे ज्यादा 16 विकेट लिए, जो उनकी काबिलियत और समर्पण का प्रमाण था।
एमआरएफ पेस फाउंडेशन और क्रिकेट की शुरुआत
श्रीनाथ की क्रिकेट की यात्रा तब शुरू हुई जब उन्होंने 1987 में एमआरएफ पेस फाउंडेशन में दाखिला लिया। इस फाउंडेशन ने कई तेज गेंदबाजों को तकनीकी रूप से तैयार किया, और श्रीनाथ इस फाउंडेशन से निकलने वाले पहले सफल तेज गेंदबाज बने, जिन्हें बाद में दुनिया ने “मैसूर एक्सप्रेस” के नाम से जाना।
इंग्लैंड दौरा 1990: श्रीनाथ की गति का परिचय
1990 में, जब भारतीय टीम इंग्लैंड दौरे की तैयारी कर रही थी, श्रीनाथ को नेट्स में बॉलिंग करने के लिए भेजा गया। भारतीय क्रिकेट के दिग्गज दिलीप वेंगसरकर जब श्रीनाथ की गेंदबाजी का सामना कर रहे थे, तो वह बाउंसर गेंद से चौंक गए। श्रीनाथ की गेंदबाजी की गति और काबिलियत ने सभी को प्रभावित किया।
श्रीनाथ की गति और स्विंग: एक अद्वितीय कौशल
क्रिकेट लेखक अयाज मेनन ने कहा था कि जब श्रीनाथ टीम इंडिया में आए, तो यह लगा कि सच में एक फास्ट बॉलर आया है, जो 145-147 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी कर सकता था। श्रीनाथ की स्विंग गेंदबाजी भी उतनी ही घातक थी, और उन्होंने अपनी कला में निपुणता हासिल की।
कपिल देव के बाद: टेस्ट क्रिकेट में श्रीनाथ का उदय
1994 में कपिल देव के संन्यास के बाद, श्रीनाथ को घरेलू टेस्ट क्रिकेट में खेलने का मौका मिला। वेस्टइंडीज के खिलाफ खेले गए एक मैच में उन्होंने पांच विकेट लिए और 60 रन बनाए, जिससे भारत को जीत मिली।
1999 विश्व कप: गति का प्रदर्शन
श्रीनाथ की बॉलिंग स्पीड 1999 के वर्ल्ड कप में सबके सामने आई, जब उन्होंने केवल पाकिस्तान के शोएब अख्तर से पीछे रहते हुए, एलन डोनाल्ड और ग्लेन मैकग्रा जैसे दिग्गजों से आगे रहते हुए गेंदबाजी की।
शैली और व्यक्तित्व: आक्रामकता के बिना गति
भारतीय क्रिकेट के अन्य तेज गेंदबाजों की तुलना में, श्रीनाथ की शैली और व्यक्तित्व बिल्कुल अलग थे। उन्होंने कभी भी आक्रामक बॉडी लैंग्वेज या स्लेजिंग का सहारा नहीं लिया, लेकिन फिर भी वे भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे तेज गेंदबाज रहे।
वर्तमान में: आईसीसी मैच रेफरी की भूमिका
श्रीनाथ, जिन्होंने इंजीनियरिंग को चुना था, नियति ने उन्हें क्रिकेट की दुनिया में खींच लाया। वह अब आईसीसी मैच रेफरी की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। अपने समय में, श्रीनाथ ने 150 किमी/घंटे से अधिक की रफ्तार से गेंदबाजी की थी, और 1997 में जिम्बाब्वे के खिलाफ 157 किमी/घंटे की रफ्तार से फेंकी गई गेंद ने उन्हें रिकॉर्ड बुक में स्थान दिलाया।