आम आदमी पार्टी की विधायक दल की बैठक में आतिशी को दिल्ली का नया मुख्यमंत्री चुन लिया गया है। इस फैसले के साथ ही दिल्ली की राजनीति में लंबे समय से चली आ रही अनिश्चितता और उठापटक समाप्त हो गई। अरविंद केजरीवाल के शराब घोटाले के आरोपों के चलते जेल जाने के बाद से ही यह सवाल उठने लगे थे कि वे अपनी जगह किसे मुख्यमंत्री बनाएंगे। हालांकि, जेल में रहते हुए भी केजरीवाल ने सरकार को संचालित करने का प्रयास किया था, लेकिन उनके इस्तीफे की घोषणा के बाद यह साफ हो गया कि पार्टी के भीतर उनकी जगह कौन लेगा।
आतिशी को क्यों चुना गया मुख्यमंत्री?
आतिशी का नाम मुख्यमंत्री के रूप में बहुत ज्यादा हैरान करने वाला नहीं है। केजरीवाल की गैरमौजूदगी में आतिशी पहले ही पार्टी का प्रमुख चेहरा बन चुकी थीं। शराब घोटाले में मनीष सिसोदिया के भी शामिल होने के कारण उनके जेल जाने के बाद अधिकतर मंत्रालय आतिशी के पास ही थे। पार्टी के अंदरूनी कामकाज के अलावा, आतिशी ने बीजेपी के हमलों का भी बखूबी सामना किया। उनकी तेजतर्रार छवि और केजरीवाल का भरोसा उन्हें इस पद के लिए उपयुक्त बनाता है।
आतिशी के सामने चुनौतियां
हालांकि आतिशी को दिल्ली का नया मुख्यमंत्री बनाया गया है, लेकिन यह जिम्मेदारी आसान नहीं होगी। एक तरफ, उन्हें केजरीवाल की अनुपस्थिति में पार्टी और सरकार दोनों को मजबूत बनाए रखना होगा, वहीं दूसरी ओर, राजनीतिक विरोधियों का सामना भी करना होगा। इस सबके बावजूद, केजरीवाल पार्टी के अंदर अपनी पकड़ बनाए रखेंगे और ‘सुपर सीएम’ की भूमिका में रहेंगे।
अन्य संभावित उम्मीदवार
केजरीवाल के जेल जाने के बाद कई नेताओं का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए चर्चा में था। गोपाल राय, राघव चड्ढा, संजय सिंह, और कैलाश गहलोत जैसे दिग्गज नेताओं का भी नाम सामने आया था। लेकिन, स्वास्थ्य समस्याएं, विवाद और अन्य कारणों से वे दौड़ से बाहर हो गए। मनीष सिसोदिया का नाम भी चर्चा में था, लेकिन केजरीवाल ने स्पष्ट कर दिया था कि वे अगला मुख्यमंत्री नहीं होंगे।
केजरीवाल की राजनीतिक रणनीति
अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक शैली हमेशा से सरप्राइज भरी रही है। जेल में रहते हुए भी वे सरकार पर अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। चुनावों में भी वे अपनी जेल डायरी को एक राजनीतिक मुद्दा बना सकते हैं।