जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल में एक नाबालिग से दो ठेका कर्मचारियों द्वारा सामूहिक बलात्कार की घटना ने सरकारी अस्पतालों में ठेका प्रथा की खामियों को उजागर कर दिया है। इस गंभीर घटना ने अस्पतालों की प्रशासनिक लापरवाही और ठेका कंपनियों की अनियमितताओं को सामने ला दिया है।
रिपोर्ट के अनुसार, अस्पतालों में ठेका कंपनियां कर्मचारियों का उचित सत्यापन नहीं कर रही हैं। ठेके की शर्तों के अनुसार जितने कर्मचारियों की आवश्यकता है, उससे आधे ही काम कर रहे हैं। सफाई और सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण पदों पर उम्रदराज कर्मियों की नियुक्ति से सुरक्षा व्यवस्था में भारी कमी आ रही है। एमडीएम, उम्मेद, और महात्मा गांधी अस्पतालों में सफाई और सुरक्षा कर्मियों की भारी कमी देखी गई है। उदाहरण के तौर पर, एमडीएम अस्पताल में 534 सफाई कर्मचारियों की जरूरत है, लेकिन वहां आधे से भी कम कर्मी काम कर रहे हैं।
कर्मचारियों के पास आई कार्ड न होने और एक कर्मचारी की जगह दूसरे का काम करने जैसी अनियमितताएं भी प्रकाश में आई हैं, जिनकी जानकारी प्रशासन के पास नहीं होती। इस गंभीर स्थिति के मद्देनजर जिला प्रशासन ने ठेका प्रथा की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
शिकायतों के बावजूद ठेका फर्मों पर कोई सख्त कदम न उठाए जाने से यह साफ है कि प्रशासन इस मुद्दे पर गंभीर नहीं है। इस घटना ने ठेका प्रथा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, और प्रशासन से इस मामले में जल्द सख्त कार्रवाई की मांग की जा रही है।