हाल ही में नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई वेब सीरीज “IC 814: द कंधार हाईजैक” ने जहां एक तरफ़ एक ऐतिहासिक घटना को पर्दे पर लाने का प्रयास किया है, वहीं दूसरी तरफ़ इसने एक बड़े विवाद को जन्म दिया है। इस वेब सीरीज के संदर्भ में सोशल मीडिया पर यह आरोप लगाया जा रहा है कि इसे हिंदुओं को बदनाम करने और इस्लामी आतंकवादियों को बचाने के उद्देश्य से बनाया गया है। इसके निर्देशक अनुभव सिन्हा पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि उन्होंने असली आतंकवादियों के नाम बदलकर हिंदू नामों का इस्तेमाल किया है, जिससे असल घटनाओं को “व्हाइटवॉश” किया जा सके और इस्लामी आतंकवादियों को छुपाया जा सके।
सीरीज में आतंकवादियों के नाम ‘भोला’, ‘शंकर’, ‘डॉक्टर’, ‘बर्गर’, और ‘चीफ’ कर दिए गए हैं, जबकि असली आतंकवादियों के नाम इब्राहिम अथर, शाहिद अख्तर सैयद, सनी, अहमद काज़ी, ज़हूर मिस्त्री, और शाकिर थे। यह बदलाव कई दर्शकों को नागवार गुजरा है और उन्होंने सोशल मीडिया पर इसके खिलाफ आवाज उठाई है। उनका मानना है कि यह बदलाव हिंदुओं को बदनाम करने और उन्हें आतंकवादी के रूप में प्रस्तुत करने का एक सुनियोजित प्रयास है।
अनुभव सिन्हा, जिनका पहले से ही सनातन धर्म और हिंदू संस्कृति पर आधारित कई विवादास्पद बयान देने का इतिहास रहा है, एक बार फिर से इस विवाद के केंद्र में हैं। उनके निर्देशन में बनी इस सीरीज को लेकर यह आरोप लगाए जा रहे हैं कि उन्होंने जानबूझकर असली इस्लामी आतंकवादियों के नामों को बदलकर हिंदू नामों का उपयोग किया, ताकि इस्लामिक आतंकवादियों की असली पहचान को छुपाया जा सके।
बॉलीवुड पर दाऊद गैंग और ISI का प्रभाव
इस विवाद के बीच कई लोग यह भी आरोप लगा रहे हैं कि बॉलीवुड में दाऊद गैंग और ISI का गहरा प्रभाव है, और यह सीरीज उसी का परिणाम है। उनका मानना है कि बॉलीवुड का एक बड़ा हिस्सा इन संगठनों का गुलाम हो चुका है और वे इस्लामी आतंकवादियों को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। यह आरोप लगाया जा रहा है कि बॉलीवुड के कई निर्माता-निर्देशक, जिनमें अनुभव सिन्हा भी शामिल हैं, इस्लामी आतंकवादियों को “बचाने” के लिए अपने फिल्मों और सीरीज में वास्तविकता से छेड़छाड़ करते हैं।
इस सीरीज को लेकर यह भी कहा जा रहा है कि इसमें इस्लामी आतंकवादियों को न केवल बचाया गया है, बल्कि उन्हें एक प्रकार से “हीरो” बनाने का भी प्रयास किया गया है। इसके जरिए हिंदू समाज को बदनाम करने और इस्लामिक आतंकवादियों की छवि को सुधारा गया है।
मौजूदा सरकार के तीसरे कार्यकाल में भी क्यों नहीं बदली परिस्थितियाँ?
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में भी यह आरोप लग रहे हैं कि बॉलीवुड का एक बड़ा हिस्सा अभी भी उन्हीं शक्तियों के अधीन है, जो सनातन धर्म को बदनाम करना चाहती हैं। कई लोग इस बात पर सवाल उठा रहे हैं कि सरकार के इतने मजबूत होने के बावजूद, बॉलीवुड में हिंदू विरोधी एजेंडा क्यों फल-फूल रहा है? क्या यह संभव है कि सरकार के भीतर कुछ तत्व अभी भी उन शक्तियों के साथ जुड़े हुए हैं, जो इस्लामिक आतंकवादियों को बचाने और सनातन धर्म को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं?
यह एक गंभीर चिंता का विषय है कि जब देश में एक शक्तिशाली सरकार है, तब भी ऐसे प्रोजेक्ट्स सामने आ रहे हैं, जो हिंदू समाज को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं। इस तरह के आरोप न केवल सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करते हैं, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि कहीं न कहीं सिस्टम में अभी भी उन तत्वों का प्रभुत्व बना हुआ है, जो सनातन धर्म के खिलाफ हैं।
इस विवाद ने एक बार फिर बॉलीवुड की जिम्मेदारी और उसकी भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह उचित है कि फिल्म निर्माता और निर्देशक ऐतिहासिक तथ्यों को अपने एजेंडे के हिसाब से मोड़ें और समाज में एक समुदाय विशेष को बदनाम करें?
बॉलीवुड को इस मुद्दे पर आत्ममंथन करने की आवश्यकता है। उन्हें समझना चाहिए कि उनकी रचनाओं का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है और वे किस प्रकार की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। इसके अलावा, सरकार को भी इस मुद्दे पर सख्त कदम उठाने की जरूरत है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसे प्रोजेक्ट्स, जो समाज में द्वेष फैलाने का प्रयास करते हैं, को हरी झंडी न दी जाए।