लक्ष्मीकांत हर्ष (ज्योतिष विशेषज्ञ)
हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है, जिसमें देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। हर साल दो प्रमुख नवरात्रि—चैत्र और शारदीय नवरात्रि—मनाई जाती हैं। शारदीय नवरात्रि की शुरुआत आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है, जो इस वर्ष 03 अक्टूबर 2024 को आरंभ होकर 04 अक्टूबर 2024 को समाप्त होगी।इस दौरान मां दुर्गा की पूजा के साथ व्रत रखा जाता है। भक्त अपने घरों में कलश स्थापना करते हैं और नौ दिनों तक देवी के अलग-अलग स्वरूपों की आराधना करते हैं। इस साल, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 03 अक्टूबर को सुबह 06:15 बजे से 07:22 बजे तक है, जबकि अभिजित मुहूर्त 11:46 बजे से 12:33 बजे तक रहेगा।
घटस्थापना विधि
कलश स्थापना करने के लिए सबसे पहले एक लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर मां दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद शुद्ध मिट्टी में जौ मिलाकर चौकी के बगल में रखें। मिट्टी के कलश में जल, गंगाजल, हल्दी की गांठ, सुपारी, दूर्वा और सिक्का डालकर आम या अशोक के पत्तों से इसे ढक दें। अगर नारियल रखना हो, तो उस पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर लाल कपड़े में लपेटें और कलावा से बांध दें। कलश स्थापना के बाद मां दुर्गा और शैलपुत्री का पूजन करें। सफेद फूल, सिंदूर, माला और मिठाई चढ़ाकर घी का दीपक जलाएं। अंत में आरती करें और व्रत का संकल्प लें।
नवरात्रि में ध्यान रखने योग्य बातें
नवरात्रि के दौरान शुद्ध शाकाहारी भोजन करें और प्याज, लहसुन, मांस, मछली तथा शराब से परहेज करें। घर में कलश स्थापित करने के बाद इसे अकेला न छोड़ें। इस अवधि में लड़ाई-झगड़ा, क्लेश से बचें, और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें। नाखून और बाल काटने की भी मनाही होती है।
शारदीय नवरात्रि 2024 के महत्वपूर्ण तिथियां:
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 03 अक्टूबर 2024, सुबह 12:18 बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त: 04 अक्टूबर 2024, सुबह 02:58 बजे
कलश स्थापना मुहूर्त: सुबह 06:15 से 07:22 बजे तक
इस नवरात्रि, मां दुर्गा की पूजा विधिवत करें और समर्पण भाव से व्रत रखें ताकि देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त हो।